Cesarean Or C Section : एक मां की कोख से बच्चे का जन्म कुदरत के सबसे बड़े करिश्मो में से एक है लेकिन आजकल यह करिश्मा थोड़ा कम होने लग गया है भारत में हर पांच में से एक डिलीवरी सी-सेक्शन या सीज़ेरियन से होती है बाकी देशों का तो और भी बुरा हाल है और ऐसा क्यों है क्योंकि ऐन मौके पर बच्चा या तो अम्बिलिकल कॉर्ड अपने गले में फंसा लेता है यह सर ऊपर या पैर नीचे कर लेता है और कुछ नहीं तो बच्चा पेट में पॉटी भी कर देता है तो चलिए आज समझने की कोशिश करते हैं Cesarean Or C Section Delivery सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी शल्य प्रसव को –
सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी
डिलीवरी एक लंबा प्रॉसेस है लेबर पेन शुरू होने से लेकर बच्चे के पैदा होने तक बीच में बहुत कुछ होता है , हाँ अगर बच्चा ऑपरेशंस से सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery के जरिए हो रहा है तो बात अलग है तो चलिए इसे समझने के लिए आपको ले चलते हैं ऑपरेशन थियेटर के अंदर ही –
C -Section Or Cesarean Delivery से पहले पूरे पेट को डिसइनफेक्ट किया जाता है ओपरेशन वाली पूरी जगह को डिफेक्ट कपड़े से ढका जाता है शरीर पर एनएसथीसिया का असर पूरी तरह हुआ है या नहीं यह देखने के लिए डॉक्टर पेट को थोड़ा हिला कर चेक करते हैं यदि महिला ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी यानी सब कुछ सही चल रहा है वह होश में है बस एनिस्थिसिया के कारण दर्द महसूस नहीं कर रही है इसलिए डॉक्टर चीरा लगा सकते हैं और चीरा लगते ही चंद मिनटों के अंदर बच्चा पेट से बाहर आ जाता है
सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery वाकई बहुत जल्दी हो जाता है लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यह कोई छोटा-मोटा ऑपरेशन है , जितनी जल्दी बच्चे को बाहर निकाला जाता है उतनी ही जल्दी टांके भी लगाए जाते हैं ताकि खून ज्यादा ना बहे , इसके बाद बच्चे को मुलायम तौलिए से साफ किया जाता है जर्मनी में नवजात शिशु को नहलाया नहीं जाता क्योंकि डाक्टरों का मानना है कि साफ पानी भी उसे नुकसान पहुंचा सकता है
डिलीवरी के समय पिता का साथ रहना
ऑपरेशन थियेटर में अक्सर पिता भी मां के साथ ही होते हैं हां बीच में एक पर्दा जरूर लगा होता है ताकि उन्हें खून का सामना ना करना पड़े लेकिन नार्मल डिलीवरी में यह पर्दा नहीं होता है क्योंकि नार्मल डिलीवरी ऑपरेशन से नहीं होती है इसलिए न ही उसमें इतना गहरा चीरा लगता है और ना ही इतना खून निकलता है Cesarean Or C Section Delivery एक बहुत बड़ा ऑपरेशन होता है बच्चे तक पहुंचने के लिए काफी गहरा चीरा लगाना होता है
सी-सेक्शन कैसे होता है ?
सबसे पहले स्किन पर एक कट लगाया जाता है उसके बाद स्किन के नीचे फेट की एक लेयर होती है इस से गुजरते हुए मांसपेशियों तक यानि मसल तक पहुंचते हैं जब यह कट जाती है उसके बाद गर्भाशय तक पहुंचते हैं गर्भाशय के अंदर Amniotic shock होता है इसे काटते हैं तो Amniotic fluid बाहर आएगा
सिजेरियन डिलीवरी कब की जाती है ?
सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery तब होती है जब गर्भवती महिला का शिशु नॉर्मल जन्म के लिए तैयार नहीं होता है या जब किसी कारणवश माता या शिशु की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है जिसमें डॉक्टर एक छोटी काट के माध्यम से मातृशीर्षक और पेट की ऊपरी परत को काट देते हैं ताकि शिशु को बाहर निकाला जा सके
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बच्चे के गले में नाल फस जाना ?
अक्सर हमे इस विषय पर ज्यादा जानकारी नहीं होती इसलिए कई बात डॉक्टर कुछ भी कहकर हमें फुसला देते हैं जैसे कि ये की बच्चे ने गर्भनाल अपने गले में फंसा लिया है दरसल बच्चा अक्सर अम्बिलिकल कॉर्ड को पकड़कर रखता है वह amniotic fluid में तैरता रहता है ऐसे में वह कई बार गले में ही अटक जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में वह खुद-ब-खुद गली से निकल भी जाती है
नॉर्मल या सिजेरियन सबसे अच्छा कौन सा है ?
नार्मल डिलीवरी में बहुत लंबा वक्त लगता है और सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery में सिर्फ कुछ मिनट तो जाहिर है कि फायदे का सौदा तो है ही लेकिन जच्चा और कि दोनों को इससे नुकसान होता है स्ट्रैट ठीक होने में कई बार महीने लग जाते हैं
नॉरमल डिलीवरी बच्चे के लिए काफी तनावपूर्ण होती है लेकिन यह तनाव जरूरी होता है इस तनाव के कारण ऐसे हार्मोन निकलते हैं जो बच्चे के शरीर में कई जरूरी प्रोसेस को शुरू करते हैं जैसे कि फेफड़ों को ठीक तरह से सांस लेने के लिए तैयार करना ताकि फेफड़ो के अंदर जो amniotic fluid बचा है वोआसानी से बाहर आ सके
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन सिर्फ 10 से 15 फ़ीसदी मामलों में ही ऐसा करने की हिदायत देता है , डब्ल्यूएचओ के अनुसार सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery सिर्फ तब करना चाहिए अगर बच्चे या मां दोनों में से किसी एक की जान को खतरा हो
जब बच्चा पैदा होता है तब बच्चे को मां से जोड़ने वाली गर्भनाल काट दी जाती है इन हार्मोन से लीवर को यह संदेश भी जाता है कि अब उसे ऊर्जा के भंडार खोल देने चाहिए और सबसे जरूरी नार्मल डिलीवरी के दौरान बच्चा मां के बहुत सारे बैक्टीरिया के संपर्क में आता है यह बैक्टीरिया बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाने का काम करते हैं उसे बिमारियों से बचाते हैं
ब्रिटेन में 600 नवजात शिशुओं पर हुए शोध में देखा गया कि नॉर्मल डिलीवरी से पैदा हुए बच्चों की आंतों में इम्यूनिटी बढ़ाने वाले ज्यादा बैक्टीरिया मौजूद थे जबकि सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी Cesarean Or C Section Delivery से हुए बच्चों की आंतों में ऐसे ऐसे बैक्टीरिया थे जो बीमारियों के लिए जिम्मेदार होते हैं यानी बच्चा किस तरह से पैदा हुआ है इसी से निर्धारित हो जाता है कि आगे चलकर वह फिट रहेगा या फिर बीमार !
हालांकि ये जरूरी नहीं जो बच्चा सीज़ेरियन से पैदा हो वह जिंदगी भर बीमार ही रहे इसमें और भी बहुत सारे फैक्टर है जैसे प्रेगनेंसी के दौरान मां पौष्टिक आहार ले रही थी यह नहीं बच्चा पैदा होने के बाद कितने वक्त उसे मां का दूध पिलाया गया वगैरह-वगैरह और भी बहुत सारी चीज़े लेकिन एक बात तो तय है की कुदरत ने जो बच्चा पैदा होने का जो तरीका बनाया है वो बिलकुल फूल प्रूफ है ये उम्मीद है की आप जब जान ही गए होंगे की Cesarean Or C Section Delivery सी-सेक्शन या सीज़ेरियन डिलीवरी कैसे होती हैं
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